07 अगस्त 2019
राजकुमार गुप्ता (संवाददाता)
– सोनभद्र मिर्जापुर जिले के सभी जमीनी विवाद की करेगी बारीकी से जांच
– तीन महीने में पूरा करनी है दो जिलों की जांच
– SIT की जांच टीम ने कई लोगों से की बातचीत
घोरावल। स्थानीय कोतवाली क्षेत्र के उभ्भा में गलत तरीके से हुए जमीन नामांतरण, इसके चलते 17 जुलाई को हुए खूनी संघर्ष और उसमें दस आदिवासियों की मौत मामले में दर्ज एफआईआर के बाद जिले में पहुंची एसआईटी टीम ने जांच तेज कर दी है। बुधवार को जिलास्तरीय अधिकारियों से घटना की जानकारी लेने के बाद टीम दोपहर एक बजे उभ्भा गांव पहुंची। जहां घटनास्थल का निरीक्षण करने के साथ ग्रामीणों से वार्ता कर जरूरी जानकारी हासिल की। कोतवाली पहुंचकर भी मामले से जुड़े जरूरी जानकारी हासिल की।
मुख्यालय से निकलने के बाद डीईजी जे रविंद्र गौड़ की अगुवाई वाली टीम सीधे उभ्भा घटनास्थल पर पहुंची। वहां बारीकी से छानबीन करने के बाद ग्रामीणों से 17 जुलाई को घटित घटना के संबंध में पूछताछ की। इसके बाद टीम प्राथमिक विद्यालय परिसर पहुंची, जहां डीआईजी जे रविंद्र गौड़, एएसपी अमृता मिश्रा, निरीक्षक विनोद कुमार त्रिपाठी, सुशील कुमार उपाध्याय, शशि भूषण मिश्रा,भीम यादव, अवध किशोर आदि ने बारी-बारी से उभ्भा कांड के पीड़ितों और ग्रामीणों से वार्ता कर घटना और उससे जुड़े घटनाक्रम की विस्तृत जानकारी जुटाई।
रामराज, कैलाश, छोटेलाल, रामपति, बसंतलाल, रामप्यारे आदि ने एसआईटी टीम को 17 जुलाई को हुई घटना, सोसाइटी, जमीनी विवाद, मुकदमों आदि के बारे में बताया। टीम ने घटना और जमीन से संबंधित दस्तावेजों की नकल ली। करीब एक घंटे तक उभ्भा गांव में जांच पड़ताल करने के बाद एसआईटी टीम घोरावल कोतवाली पहुंची। वहां उभ्भा गांव में कथित सोसायटी की जमीन को लेकर हुए विभिन्न विवादों और उस पर हुई कार्रवाई की जानकारी ली।
मामले से संबंधित विभिन्न पत्रावलियों का गहन निरीक्षण किया। एसआईटी के डीआईजी जे रविंद्र गौड़ ने बताया कि टीम के सदस्यों के साथ उन्होंने उभ्भा गांव में जाकर पीड़ितों और ग्रामीणों से मुलाकात की। उनसे वार्ता कर घटना के विभिन्न पहलुओं पर जानकारी ली। कहा कि घटना घटने के कारणों की छानबीन तो की ही जाएगी, इसमें पुलिस और राजस्वकर्मियों की भी भूमिका जांची जाएगी।
दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की जाएगी। उन्होंने बताया कि 1955 से लेकर 17 जुलाई 2019 तक हुई सभी कार्रवाई की टीम जांच करेगी। इसको लेकर मिर्जापुर और सोनभद्र दोनों जिलों में जांच की जाएगी। डीआईजी ने बताया कि तीन महीने के भीतर जांच पूरी कर ली जाएगी। इसके बाद कार्रवाई की संस्तुति करते हुए रिपोर्ट शासन को सौंप दी जाएगी।